Top latest Five hindi poem on apna kaun hai Urban news

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राज्य उलट जाएँ, भूपों की भाग्य सुलक्ष्मी सो जाए,

पत्र गरल का ले जब अंतिम साकी है आनेवाला,

कही ये तो नहीं की अँधियारा ही मेरी किस्मत थी

जिनसे भी मेरा संपर्क रहता है, वो मेरे अपने हैं.

बड़े बड़े पिरवार मिटें यों, एक न हो रोनेवाला,

काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।।७३।



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रागिनियाँ बन साकी आई भरकर तारों का प्याला,

कंठ बंधे अंगूर लता में मध्य न जल हो, पर हाला,

अरूण-कमल-कोमल कलियों की प्याली, फूलों का प्याला,

इतरा लें सब पात्र न जब तक, आगे आता है प्याला,

अगणित कर-किरणों से जिसको पी, खग पागल हो गाते,

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